नकारात्मक सोच तो सकारात्मक कैसे करें?
इस से पहले वाले लेख में मैंने सकारत्मक और नकारत्मक सोच वाले लोगो के लक्षणों के बारे में बताया था ।
हमारे मन की आदत है की वह हमेशा negative सोचता है, छोटी - छोटी बात को बड़ा करके दिखता है और पुरानी बातों को दोहराता रहता है । कुछ बातें मैं यहाँ आपको विस्तार से बताऊंगा जो आपको सोच को सकारात्मक बनाने में सहायक सिद्ध होंगी ।
१) अपना नजरिया बदलें ।
Change your Attitude
"Successful people do not do different things
They do things differently "
अपने जीवन को आनंदमय बनाने के लिए और सकारात्मक सोच के लिए सबसे पहले हमें अपना नजरिया बदलना होगा।
हम अपने जीवन को किस नज़रिये से देखते हैं - "मेरे जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख भरे हैं, परेशानियां तो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ती हैं, मुझे हर वक़्त कोई बीमारी लगी रहती है, मुझे जीवन में कुछ नहीं मिला ?" यदि आपका ऐसा नजरिया है तो जीवा में दुःख ही रहेगा , क्योंकि जीएस हम सोचते हैं, वैसी ही परिस्थिति हम अपने जीवन में आकर्षित करते हैं , वैसा ही हमारा जीवन बनता जाता है ।
एक बार एक व्यक्ति ने अपना मकान बेचने का विचार किया । उसको लगता था कि मेरा घर समुन्द्र के किनारे है इसलिए यहाँ मक्खी मच्छर ज्यादा हैं , सुनामी का डर है , शहर से दूर है । विचार करके उसके अख़बार में विज्ञापन दे दिया । अगली सुबह जब उसने अख़बार देखा तो उसमें लिखा था - " एक खूबसूरत घर समुन्द्र के किनारे 'On Sale' है । यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का रोमांचक दृश्य आपको नज़र आएगा । सबसे बढ़िया बात यह शोरगुल और भीड़ भाड़ से दूर है । यहाँ आपको खुला और स्वच्छ वातावरण मिलेगा ।"
अगले ही दिन उसका मकान खरीदने के लिए लोगो की लाइन लग गयी । जब उस व्यक्ति ने यह सब देखा तो उसने अपना मकान बेचने का निर्णय बदल लिया । उसने विचार किया कि मैंने अपने घर को कभी इस नज़रिये से देखा ही नहीं , सिर्फ मक्खी मच्छर और गन्दगी को देखा ।
हमारा नजरिया सकारात्मक होना चाहिए , अगर हमारा ध्यान हमेश पॉजिटिव की ओर होगा तो धीरे धीरे हमारी परिस्थिति भी positive होने लगेगी ।
२) दोष दृष्टि न रखें
हमेशा से हमारे मन को दूसरों के दोष देखने की आदत है, मन हमेशा दोष ही दिखाता है। दूसरों के दोष देखने से हमारे अंदर एक negativity आ जाती है ।
एक पिता के दो पुत्र थे । एक बहुत अछा और समझदार था , तो दूसरा जुआरी व शराबी था और अपनी पत्नी को भी पीटता था । पहले पुत्र से पूछा गया कि तुम्हारा आदर्श कौन है? उसने कहा मेरे पिता मेरे आदर्श हैं। दूसरे से भी पूछा गया कि तुम्हारे आदर्श कौन है? उसने भी एहि जवाब दिया की मेरे पिता ही मेरे आदर्श हैं । पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है? पहले वाले पुत्र ने कहा कि मेरे पिता में बहुत - सी अच्छाइयाँ हैं जो मैंने अपना ली , उनकी बुराइयों की तरफ मेरी दृष्टि ही नहीं गयी । दूसरे पुत्र से पूछा तो उसको अपने पिता में कमियां ही कमियां नज़र आई , क्योंकि वो नकारात्मक सोच वाला था ।
३) शुक्राना मानें
Attitude of Gratitude
हमारे आस पास जो भी हो रहा है हमे उस के लिए भगवन का शुक्रगुज़ार होना चाहिए । हम जो ज़िन्दगी जी रहे हैं जो कितने लोगों को नसीब नहीं होती । हम अच्छा पहनते हैं , अच्छा खाते हैं , पढ़े लिखे हैं , अच्छा घर हैं, माँ -बाप हैं । कितने ऐसे लोग हैं जिनके पास कुछ भी नहीं होता , वह लोग गरीब घर में पैदा होते हैं और पढ़ लिख भी नहीं पाते । हमे अपनी ज़िन्दगी में छोटी छोटी बातों पर शिकायत नहीं करनी चाहिए अपितु Thankful होना चाहिए । इससे हमारी ज़िन्दगी आनंदमय बनती है और ज़िन्दगी में Positive नजरिया बनता है ।
४) अच्छी संगति में रहें हमारे आस पास जैसे लोग होते हैं वैसी ही हमारी सोच बन जाती है । जब हमारे आस पास नकारत्मक सोच वाले लोग होते हैं तो हमारी Positive energy भी काम होने लगती है । आस पास अचे लोगो होने से हमारे दिमाग में भी अचे विचार आते हैं ।
५) योग और व्यायाम करें
योगा करने से हमारा मन शांत होता है। योगा करने से हमारे बुरे विचार निकल जाते हैं । हम एक स्वस्थ जीवन जी पाते हैं। एक सकारात्मक सोच का प्रवाह होता है।
आपकी नकारात्मक सोचें क्या हैं? नीचे कमेंट सेक्शन में बताएं ।
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