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It's your feelings that matters over your words

It does not matter if you are using the correct words or wrong words in prayers, as long as your feelings are true. Here is short story in Hindi which shows that feelings of person are much important than words.

एक बार एक व्यक्ति श्री धाम वृंदावन में दर्शन करने गया.. वह दर्शन
करके जब लौट रहा था तभी एक संत अपनी कुटिया के बाहर बैठे बड़ा
अच्छा पद गा रहे थे कि -
हो नयन हमारे अटके..
श्री बिहारी जी के चरण कमल में...
बार-बार यही गाये जा रहे थे...उस व्यक्ति ने जब इतना मीठा पद
सुना तो वह आगे न बढ़ सका और संत के पास बैठकर ही पद सुनने लगा
और संत के साथ-साथ गाने लगा..
कुछ देर बाद वह इस पद को गाता-गाता अपने घर आ गया और
सोचता जा रहा था कि वाह संत ने बड़ा प्यारा पद गाया...
पर जब घर पहुँचा तो वह पद भूल गया ....अब याद करने लगा कि संत
क्या गा रहे थे...बहुत देर याद करने पर भी उसे याद नहीं आ रहा
था....फिर कुछ देर बाद उसने गाया -
हो नयन बिहारी जी के अटके....हमारे चरण कमल में...
उलटा गाने लगा ....उसे गाना था नयन हमारे अटके बिहारी जी के
चरण कमल में अर्थात बिहारी जी के चरण कमल इतने प्यारे है कि नजर
उनके चरणों से हटती ही नहीं है ;नयन मानो वही अटक के रह गये है.. पर
वो गा रहा था कि बिहारी जी के नयन हमारे चरणों में अटक गये
अब ये पंक्ति उसे इतनी अच्छी लगी कि वह बार-बार बस यही गाये
जाता...आँखे बंद है बिहारी के चरण ह्रदय में है और बड़े भाव से गाये
जा रहा है..
जब उसने 11 बार ये पंक्ति गाई तो क्या देखता है सामने साक्षात्
बिहारी जी खड़े है ; झट से उनके श्री चरणों में गिर पड़ा...बिहारी
जी ने मुस्करा कर कहा -भईया एक से बढकर एक भक्त हुए पर तुम जैसा
भक्त मिलना बड़ा मुश्किल है...
लोगो के नयन तो हमारे चरणों के अटक जाते है पर तुमने तो हमारे ही
नयन अपने चरणों में अटका दिये और जब नयन अटक गये तो फिर दर्शन देने
कैसे नहीं आता...
वास्तव में बिहारी जी ने उसके शब्दों की भाषा सुनी ही नहीं
क्योकि बिहारी जी शब्दों की भाषा जानते ही नहीं है...वे तो
एक ही भाषा जानते है वह है भाव की भाषा...भले ही उस भक्त ने
उलटा गाया पर बिहारी जी ने उसके भाव देखे कि वास्तव में ये
गाना तो सही चाहता है ...शब्द उलटे हो गये तो क्या भाव तो
कितना उच्च है...⁠⁠

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