गुरू से शिष्य
ने कहा: गुरूदेव
! एक व्यक्ति ने
आश्रम के लिये
गाय भेंट की
है।
गुरू ने कहा
- अच्छा हुआ ।
दूध पीने को
मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य
ने आकर गुरू
से कहा: गुरू
! जिस व्यक्ति ने
गाय दी थी,
आज वह अपनी
गाय वापिस ले
गया ।
गुरू ने कहा
- अच्छा हुआ ! गोबर उठाने
की झंझट से
मुक्ति मिली।
'परिस्थिति'
बदले तो अपनी
'मनस्थिति' बदल लो
। बस दुख,
सुख में बदल
जायेगा.।
"सुख दुख आख़िर
दोनों
मन के ही
तो समीकरण हैं।"
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