There are times in our life when things do not go according
to the plans, everything seems to be going against you.. You feel devastated
and sad and you feel like the victim of the situations. You feel that why this
is happening to me, i have not done anything wrong to anyone still bad things
are happening to me. Here is a motivational story for you:
मैं ही क्यों!
अमेरिका के महान
टेनिस खिलाड़ी आर्थर
ऐश को 1983 में
ह्रदय की सर्जरी
के दौरान गलती
से ऐड्स विषाणु
से संक्रमित खून
चढ़ा दिया गया
था जिस कारण
वे ऐड्स रोग
की चपेट में
आ गए और
मृत्युशय्या पर थे.
दुनिया भर से
उनके चाहनेवाले उन्हें
पत्र लिख रहे
थे. उनमें से
ज्यादातर लोग आर्थर
ऐश से पूछ
रहे थे – “भगवान
ने आपको ही
इतना भयानक रोग
क्यों दे दिया?”
इसके जवाब में
आर्थर ऐश ने
लिखा – “पूरी दुनिया
में 5 करोड़ बच्चे
टेनिस खेलते हैं,
50 लाख बच्चे टेनिस सीख
जाते हैं, 5 लाख
बच्चे प्रोफेशनल टेनिस
खेल पाते हैं,
उनमें से 50000 टीम
में जगह पाते
हैं, 500 ग्रैंड स्लैम में
भाग लेते हैं,
50 विम्बलडन तक पहुँचते
हैं, 4 सेमीफाइनल खेलते है,
2 को फाइनल खेलने
का मौका मिलता
है. जब मैंने
विम्बलडन का पदक
अपने हांथों में
थामा तब मैंने
भगवान से यह
नहीं पूछा – मैं
ही क्यों?”
“और
आज इस असह्य
दर्द में भी
मैं भगवान् से
नहीं पूछूँगा – मैं
ही क्यों?”
(आर्थर ऐश जूनियर
(10 जुलाई, 1943 – 6 फरवरी, 1993) अफ्रीकन-अमेरिकन टेनिस
प्लेयर थे. उन्होंने
तीन ग्रैंड स्लैम
पदक जीते. उन्हें
सामाजिक योगदान के लिए
भी याद किया
जाता है.)
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