Pin It

Widgets

Love the God unconditionally: ईश्वर से प्रेम करो : Motivational story in Hindi

Love the God, unconditionally and without question and God will give you back his love.
Here is a short motivational story in Hindi.

ईश्वर से प्रेम करो। अगर तुम ईश्वर से प्रेम करोगे तो तुम्हे ईश्वर से माँगना नहीं पड़ेगा, ईश्वर स्वयं तुम्हे देंगे।

एक दिन नारद जी भगवान के लोक को जा रहे थे। रास्ते में एक संतानहीन दुखी मनुष्य मिला। उसने कहा- नारद जी मुझे आशीर्वाद दे दो तो मेरे सन्तान हो जाय।

नारद जी ने कहा- भगवान के पास जा रहा हूँ। उनकी जैसी इच्छा होगी लौटते हुए बताऊँगा।




नारद ने भगवान से उस संतानहीन व्यक्ति की बात पूछी तो उनने उत्तर दिया कि उसके पूर्व कर्म ऐसे हैं कि अभी सात जन्म उसके सन्तान और भी नहीं होगी।

नारद जी चुप हो गये।

इतने में एक दूसरे महात्मा उधर से निकले, उस व्यक्ति ने उनसे भी प्रार्थना की उनने आशीर्वाद दिया और दसवें महीने उसके पुत्र उत्पन्न हो गया।

एक दो साल बाद जब नारद जी उधर से लौटे तो उनने कहा- भगवान ने कहा है- तुम्हारे अभी सात जन्म संतान होने का योग नहीं है।

इस पर वह व्यक्ति हँस पड़ा।
उसने अपने पुत्र को बुलाकर नारद जी के चरणों में डाला और कहा-
एक महात्मा के आशीर्वाद से यह पुत्र उत्पन्न हुआ है।

नारद को भगवान पर बड़ा क्रोध आया कि व्यर्थ ही वे झूठ बोले।
मुझे आशीर्वाद देने की आज्ञा कर देते तो मेरी प्रशंसा हो जाती सो तो किया नहीं, उलटे मुझे झूठा और उस दूसरे महात्मा से भी तुच्छ सिद्ध कराया।

नारद कुपित होते हुए विष्णु लोक में पहुँचे और कटु शब्दों में भगवान की भर्त्सना की। भगवान ने नारद को सान्त्वना दी और इसका उत्तर कुछ दिन में देने का वायदा किया। नारद वहीं ठहर गये।

एक दिन भगवान ने कहा- नारद लक्ष्मी बीमार हैं- उसकी दवा के लिए किसी भक्त का कलेजा चाहिए। तुम जाकर माँग लाओ।

नारद कटोरा लिये जगह- जगह घूमते फिरे पर किसी ने न दिया। अन्त में उस महात्मा के पास पहुँचे जिसके आशीर्वाद से पुत्र उत्पन्न हुआ था। उसने भगवान की आवश्यकता सुनते ही तुरन्त अपना कलेजा निकालकर दे किया। नारद ने उसे ले जाकर भगवान के सामने रख दिया।

भगवान ने उत्तर दिया-
नारद !
यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है।
जो भक्त मेरे लिए कलेजा दे सकता है उसके लिए मैं भी अपना विधान बदल सकता हूँ। तुम्हारी अपेक्षा उसे श्रेय देने का भी क्या कारण है सो तुम समझो।

जब कलेजे की जरूरत पड़ी तब तुमसे यह न बन पड़ा कि अपना ही कलेजा निकाल कर दे देते। तुम भी तो भक्त थे। तुम दूसरों से माँगते फिरे और उसने बिना आगा पीछे सोचे तुरन्त अपना कलेजा दे दिया।

त्याग और प्रेम के आधार पर ही मैं अपने भक्तों पर कृपा करता हूँ और उसी अनुपात से उन्हें श्रेय देता हूँ। नारद चुपचाप सुनते रहे।
उनका क्रोध शान्त हो गया और लज्जा से सिर झुका लिया।

यदि आप धर्म करोगे तो आपको ईश्वर से मांगना ही पड़ेगा...
लेकिन यदि आप कर्म करोगे तो ईश्वर को,
आपको देना ही पड़ेगा.


No comments:

Post a Comment