गुरु भगवान नें बताया-
भक्तों के क्या लक्षण हैं
1. भक्त समर्पित रहता है, सेवा में रहता है, प्रसन्न रहता है तो भगवान उसके जीवन में चमत्कार कर देते हैं
2. भक्त को अपनी विद्या, बल, जाति, पद, संयम व धन का कोई अभिमान नहीं रह जाता
3. भक्त अंदर बाहर से कोमल होता है, शांत व प्रेमी होता है, चिंतित व परेशान नहीं
4. भक्त यह धारणा पक्की करता है - मैं भगवान का हूँ, भगवान मेरे हैं
5. भक्त को अपने प्रभु को रिझाने में ही आनंद आता है
6. भगवान जैसे रखें, भक्त प्रसन्न रहता है
7. भक्त स्वयं अमृत हो जाता है, वह इतना मधुर हो जाता है कि जो भी उसके संपर्क में आता है, वह वही प्रेम, अमृत व मधुरता पा जाता है
8. भक्त राग-द्वेष नहीं करता, उसका हृदय इतना पवित्र होता है कि उसके शब्द भगवान के शब्द हो जाते हैं
9. भक्त किसी को दुख नहीं देता, उसके अंदर भगवान के लिए जो तड़प व प्यास है वही भक्ति है
10. भक्त को अपने भगवान से प्रेम करने में जितना आनंद आता है उतना विषयी पुरुषों को सारे संसारी सुख भोगने पर भी नहीं आता
क्या हम नें भक्ति की दिशा में पहला कदम भी रखा है ?
गुरु की कृपा ही आगे बढ़ाती है
भक्तों के क्या लक्षण हैं
1. भक्त समर्पित रहता है, सेवा में रहता है, प्रसन्न रहता है तो भगवान उसके जीवन में चमत्कार कर देते हैं
2. भक्त को अपनी विद्या, बल, जाति, पद, संयम व धन का कोई अभिमान नहीं रह जाता
3. भक्त अंदर बाहर से कोमल होता है, शांत व प्रेमी होता है, चिंतित व परेशान नहीं
4. भक्त यह धारणा पक्की करता है - मैं भगवान का हूँ, भगवान मेरे हैं
5. भक्त को अपने प्रभु को रिझाने में ही आनंद आता है
6. भगवान जैसे रखें, भक्त प्रसन्न रहता है
7. भक्त स्वयं अमृत हो जाता है, वह इतना मधुर हो जाता है कि जो भी उसके संपर्क में आता है, वह वही प्रेम, अमृत व मधुरता पा जाता है
8. भक्त राग-द्वेष नहीं करता, उसका हृदय इतना पवित्र होता है कि उसके शब्द भगवान के शब्द हो जाते हैं
9. भक्त किसी को दुख नहीं देता, उसके अंदर भगवान के लिए जो तड़प व प्यास है वही भक्ति है
10. भक्त को अपने भगवान से प्रेम करने में जितना आनंद आता है उतना विषयी पुरुषों को सारे संसारी सुख भोगने पर भी नहीं आता
क्या हम नें भक्ति की दिशा में पहला कदम भी रखा है ?
गुरु की कृपा ही आगे बढ़ाती है
No comments:
Post a Comment