आत्मनिरीक्षण:
> क्या आपको छोटी - छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है?
> क्या आपको लगता है की मैं तो सबकी भलाई चाहता हु, पर लोग मेरे साथ बुरा व्यव्हार करते हैं?
> क्या आपकी अक्सर लोगो क साथ नोक झोक हो जाती है?
> क्या आपको लगता है की मुझे कोई समझता नहीं है ?
> क्या आपको लगता है की मुझसे करता?
यदि इन में से २- ३ बातें आपको अपने जीवन की सच्चाई लगती हैं तो आप सही जगह पर आये हैं.
इन सब बातों का कारन है हमारी सोच।
हमारे मन को सोचने की बुरी आदत होती है. चाहे कोई बात हो न हो हमारा मन कुछ न कुछ सोचता रहता है,
मन के लगातार सोचने की वजह से हमारी सारी शक्ति भी कर्च हो जाती है । पर हमारा मन सोचता क्या है? गहराई में सोचे तो इसकी दृष्टि हमेशा दुसरो पर ही रहती है । यह हमेशा दुसरो क अवगुण , उनकी कमियां देखता रहता है। इसी को कहते हैं - "परदोष दर्शन"।
पर परदोष दर्शन से निवृत्ति क्या क्या उपाय है? - आत्मनिरीक्षण
आत्मनिरीक्षण का अर्थ है - अपने मन को प्रशीक्षण करना। हमें यह बात जान लेनी चाहिए की जब तक हम अपने मन को नहीं जानेंगे, तब तक किसी और के मन को नहीं जान सकते । अपने मन की प्रकृति को समझना चाहिए की यह क्या सोचता है? कैसे विचार करता है? दुसरो की कितने दोष देखता है? इसमें क्या क्या विचार आते हैं? क्या हमेशा पास्ट और फ्यूचर क्या सोचता है?
भगवान श्री कृष्णा ने भी गीता में कहा है - " दोष दृष्टि रहित भक्त मुझे प्यारे हैं "
यदि हमारे अंदर कमी है कि हमे अपने बारे में सोचना आता ही नहीं है और हम दुसरो क बारे में ज्यादा सोचते हैं तो यह देखे की हम दुसरो क गुणों का विचार हैं या दोषों का । वैसे तो दुसरो क बारे में ही विचार नहीं करना चाहिए - यह दोष होता है पर दुसरो क दोषों के बारे में विचार करना तो महादोष होता है। जब हम दुसरो क दोष देखते हैं तो वो दोष हमारे अंदर भी आ जाते है। पहले तो वो लहर की तरह लगते हैं पर बाद में समुन्द्र के सामान हो जाते है।
किस क दोष मत देखिये। दुसरो क दोष देखने से हमारे शान्ति बर्बाद होती है । अगर मान लीजिये की हमारे चेहरे पर दाग है और हम शीशा साफ़ कर रहे हैं तो क्या दाग चला जायेगा? बिलकुल इसी तरह अगर हमे दुसरो में दोष दिखता है तो वो हमारे अंदर ही होता है।
कुछ छोटे प्रतीत होने वाले साधन जिनसे दोषो को मिटाया जा सकता है-
१) मुख से भजन, नाम सुमिरन होता रहे। इससे इधर उधर की बातें करना बंद हो जायेगा ।
२) दुसरो में बुराई न देखें अपितु इस बात पर विचार करें की अपने मैं को शुद्ध कैसे बनाया जाये।
३) ध्यान लगायें। ध्यान लगाने से हमारा मैं शांत होता है।
४) अपने खाने क habits पर ध्यान रखेन। जैसे भी हम खाते हैं उसका असर हमारे मन पर भी पड़ता है।
५) नियमित प्राणायाम करे। दिन में १० मिनट प्राणायाम करने से हमारे शरीर से negative energy निकल जाती है ।
६) कुछ भी निर्णय लेने से पहले थोड़ा समय दे और सोचे। एक दम से किसी निर्णय पर न आ जाएँ ।
७) धैर्य रखें।
८) व्यसन से बचें, शराब, सिगरेट अत्यादि से हमर आत्मनिरीक्षण कमजोर हो जाता है । इनके आधीन न हो ।
९ ) लक्ष्य बनायें और उसे बीच में न छोड़ें ।
१०) रोज़ाना १० मिनट के लिए कोई अच्छा साहित्य पढ़ें । उससे हमारे मैं में पॉजिटिव एनर्जी आती है ।
११) पूरी नींद करें । नींद सही से न होने पर हमारा मन चिड़चिड़ा हो जाता है और हमरा stress level बढ़ जाता है ।और उसके कारण हमारा आत्मनिरीक्षण भी कम हो जाता है ।
आपका आत्मनिरीक्षण काफी बढ़ जायेगा अगर आप अपनी will power को बढ़ने की कोशिश करें ।जो बात एक बार सोच ली उसे पूरा करें चाहे कितनी भी बाधायें क्यों न आ जाएँ । जब हम अपने आप को बदलते हैं तो हमे दुनिया भी बदली हुई लगती है ।
“I am, indeed, a king, because I know how to rule myself.”Pietro Aretino
No comments:
Post a Comment