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Story of Surdas ji and Kabir ji in Hindi

There is one God but everyone see the God the way he/she wants to see. You can have any relation with God. Be a friend, a mentor, the supreme power, the lover.. it does not matter as long as it's a true relation. Here is a motivational story in Hindi on how two great saints have a different perspective of God but both of them had a true relation. 

एकबार किसी गांव में सत्संग करने के लिए बाबा कबीर जी और बाबा सूरदास जी दोनो गये शाम को सत्संग में दोनो संतो ने खूब रस बरसाया सत्संग चल रहा था कि अचानक वहां भूचाल आने लगा लोग सत्संग में से भागने लगे तभी लोगो का है हल्ला सुना तो बाबा सूरदासजी भी भागने लगे

बाबा कबीर जी को बहुत हैरानी हुई कि संगत तो भगी लेकिन बाबा तो सिद्ध संत हैं हम संतो को जीवन मरण से क्या मतलब बहुत सोचने लगे बाबा कबीर कुछ देर बाद सब कुछ ठीक हुआ सब संगत फिर पंडाल में बैठने लगी बाबा सूरदास भी अपने आसन पर बैठ गये बाबा कबीर बाबा सूरदास से बोले कि बाबा यहां तक मेरी समझ है यानि की मेरी किसी बात को गलत मत लेना आपतो सिद्ध संत हैं हम संतो को जीवन मरण से क्या लेना देना पर मेरा संशय दूर करें कृपया ये बतायें कि आप इस सत्संग से क्यों भागे

बाबा सूरदास बोले कि जब आप कथा कह रहे थे तो इस सत्संग में मेरा बालकृष्ण भी आपकी कथा सुन रहा था कबीर बोले तो बाबा सूरदास बोले कि बाबा मैं इसलिये भागा कि मेरा बालकृष्ण कहीं धक्का मुक्की में कहीं गिर न जाये और उसको कहीं चोट न लग जाए मैं उसे पकडने के लिए भागा था

बाबा कबीर बोले कि आपतो सूरदास हैं फिर आप उसे न देख पाते तो उसे आप कैसे पकडते बाबा सूरदास बोले बाबा मैं उसे नहीं देख सकता तो वो मुझे देख सकता है अगर कोई ऐसीवैसी बात होती तो उसने मुझे देख मेरे गले लग जाना था

बाबा कबीर बोले बुरा न मानना बाबा यहाँ सत्संग में तो मेरे राम भी बैठे थे वो तो नहीं भागे बाबा सूरदास बोले कि बाबा बात ये है कि आपका ईष्ट
**** पालक है****
संसार को पालने वाला है
और बाबा मेरा ईष्ट
**** बालक है ****

बाबा कबीर इतने खुश हुये बाबा सूरदास से गले मिल रोने लगे कि बाबा आपही के कारन आज मुझे श्री बालकृष्ण लला के दर्श हुए

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