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How to live a happy life (जीवन जीने का सही तरीका ) in Hindi






What is the right way to live a life? Do you need a lot of money to live a happy life? Can money buy happiness? Here we will talk about the way we should live our life to be happy and with contentment ( in Hindi).

पैसे के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है की गरीब लोग पैसे के लिए काम करते हैं और अमीरों के लिए पैसा काम करता है।

ज्यादातर लोग दो प्रकार की धारणाओं से ग्रस्त रहते हैं  - डर और लालच

पहले तो पैसे के बिना रहने के डर से हमें कड़ी म्हणत करने की प्रेरणा मिलती है।  इसके बाद हमे तनख्वाह मिलती है तो हमारे अंदर लालच या इच्छा की भावना जाग उठती है।  पैसा होने पर हम उन बढ़िया चीज़ो के बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते हैं , जो उस पैसे से खरीदी जा सकती है।  इस तरह से हमारी ज़िन्दगी का एक पैटर्न बन जाता है  -

सुबह जागना---काम पर जाना ----कमाना ----खर्च करना ---घर आना---सो जाना ---फिर अगली सुबह जागना ---काम पर जाना ----कमाना ----खर्च करना ---घर जाना ---

अधिकांश लोगो का जीवन हमेशा डर और लालच इन्ही दो भावनाओं से चलता है।  उन्हें अगर ज्यादा पैसा भी दे दें तो भी वे इसी पैटर्न पर चलते हुए अपने खर्च बढ़ा लेंगे।  इस पैटर्न को चूहा दौड़ कहते हैं।  वह इस चूहा दौड़ से नहीं निकल पाते , क्यूंकि उनके अंदर डर रहता है - यदि नौकरी नहीं करेंगे तो ज़िन्दगी कैसे चलेगी , बच्चों का ख़र्च कैसे चलेगा ?

वो सोचते हैं की ज्यादा पैसा कमा कर उनका डर निकल जायेगा।  परन्तु ऐसा नहीं होता।  वह जितना कमाते हैं डर बढ़ता जाता है।  उन्हें अब इसे खोने की चिंता सताने लगती है।  इतने सुख व आराम में रहने के आदी हो जाते हैं कि पैसे के बिना जीवन की कल्पना नरक लगने लगती है।  हम  जानते हैं जिनके पास करोड़ो की दौलत है , पर वह उससे भी ज्यादा चिंतित और परेशान हैं।  वह इसी चिंता में घिरे रहते हैं कि यदि वह कंगाल हो गए तो उनके दोस्त क्या कहेंगे या उनका जीवन यापन कैसे होगा ?

आप सोच रहे होंगे - तो क्या नौकरी करने के पीछे डर की भावना छुपी होती है ? जी हैं ! किसी ने तभी तो कहा है - Just obey the boss.

कहना यही छह रहे हैं की नौकरी करना महत्वपूर्ण है , पर डर को इच्छा को हमारे दिमाग से निकलना चाहिए।  अगर हम यह नहीं सीखेंगे तो हमेशा पैसे के गुलाम रहेंगे।  अगर हमे डर और लालच पर काबू पाना नहीं आता तो हम चाहे कितने भी अमीर बन जाएँ , असलियत में हम एक बड़ी तनख्वाह पाने वाले गुलाम ही रहेंगे। 


डर और लालच - इन दो भावनाओं का इस्तेमाल हम अपने समर्थन में करें।  इन भावनाओं को हम अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दें।  अपने विचारों को दूषित नहीं होने दें।  डर को इच्छा के कारण ज्यादातर लोग तनख्वाह की चेक ,तनख्वाह में बढ़ोतरी और नौकरी की सुरक्षा के पीछे भागते भागते अपना पूरा जीवन निकल देते हैं।  यह तो वाही बात है , जिसमें गाडी खीचने वाले गधे के सामने उसका मालिक गाजर लटकाये रखता है।  गाजर उसकी नाक के ठीक सामने होती है।  गधे का मालिक जहाँ जाना चाहता है , वहां जाता है।  परन्तु गधा तो गाजर के लालच के कारण भाग ही रहा है।  कल गधे के लिए दूसरी गाजर आ जाएगी और गधा उसका पीछा करने लगेगा।  बड़ी विचित्र बात है।  यह दृष्टान्त हमारी आँखें खोलता है।  



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